: चंपावत :जान हथेली पर रखकर स्कूल जाने को मजबूर छात्राएं
चंपावत जिले की नौलपानी की छात्राएं जान हथेली पर रखकर स्कूल जाने को मजबूर उफनती लधीया को रोज करना पड़ता है पार
 खबर मुख्यमंत्री की विधानसभा चंपावत से है जहां जिले के दूरस्थ नोलापानी क्षेत्र की छात्राएं स्कूल जाने के लिए अपनी जान हथेली में रखकर रोज उफनती लधीया नदी को पार कर जीआईसी आमोरी पहुंचती नदी में झूला पुल ना होने के कारण इन छात्राओं को रोज उफनती लधीया को पार करना पड़ता है इस दौरान उनके साथ कभी भी जानलेवा हादसा हो सकता है स्कूल पहुंचने तक उनके कपड़े तक गीले हो जाते हैं
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क्षेत्र के लोगों का कहना है 22 सालों में प्रदेश में कई सरकारें आई और गई कई विधायक आए और गए पर उनकी इस समस्या का समाधान किसी ने नहीं किया समस्या जस की तस बनी हुई है बरसात के मौसम में नदी का पानी काफी ज्यादा बढ़ जाता है और नदी मे पुल ना होने के कारण उनके बच्चों को जान हथेली में रखकर स्कूल जाना पड़ता है तथा नदी के ज्यादा बढ़ने पर वह स्कूल तक नहीं जा पाते हैं बच्चो के स्कूल जाने पर अभिभावकों को दुर्घटना का डर बना रहता है तथा ग्रामीणों को भी कई समस्याओं से जूझना पड़ता है ग्रामीणों ने कहा प्रशासन से कई बार इस स्थान पर झूला पुल बनाने की मांग करी गई पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया ग्रामीणों ने कहा
खबर मुख्यमंत्री की विधानसभा चंपावत से है जहां जिले के दूरस्थ नोलापानी क्षेत्र की छात्राएं स्कूल जाने के लिए अपनी जान हथेली में रखकर रोज उफनती लधीया नदी को पार कर जीआईसी आमोरी पहुंचती नदी में झूला पुल ना होने के कारण इन छात्राओं को रोज उफनती लधीया को पार करना पड़ता है इस दौरान उनके साथ कभी भी जानलेवा हादसा हो सकता है स्कूल पहुंचने तक उनके कपड़े तक गीले हो जाते हैं
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क्षेत्र के लोगों का कहना है 22 सालों में प्रदेश में कई सरकारें आई और गई कई विधायक आए और गए पर उनकी इस समस्या का समाधान किसी ने नहीं किया समस्या जस की तस बनी हुई है बरसात के मौसम में नदी का पानी काफी ज्यादा बढ़ जाता है और नदी मे पुल ना होने के कारण उनके बच्चों को जान हथेली में रखकर स्कूल जाना पड़ता है तथा नदी के ज्यादा बढ़ने पर वह स्कूल तक नहीं जा पाते हैं बच्चो के स्कूल जाने पर अभिभावकों को दुर्घटना का डर बना रहता है तथा ग्रामीणों को भी कई समस्याओं से जूझना पड़ता है ग्रामीणों ने कहा प्रशासन से कई बार इस स्थान पर झूला पुल बनाने की मांग करी गई पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया ग्रामीणों ने कहा
 अब हमारे क्षेत्र के विधायक खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हैं उन्हें पूरी आशा है कि मुख्यमंत्री छात्र-छात्राओं की इस समस्या का संज्ञान लेंगे और इस समस्या का जल्द समाधान करेंगे वीडियो में साफ देखा जा सकता है छात्राएं किस तरह उफनती नदी को पार कर रही है उनके साथ कभी भी कोई जानलेवा हादसा वो सकता है मुख्यमंत्री ने संज्ञान लेना चाहिए वहीं अभिभावकों ने भी सावधानी बरतते हुए पानी ज्यादा होने पर बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहिए कुल मिलाकर इन स्कूली छात्र छात्राओं को शिक्षा लेने के लिए भी अपनी जान को दांव पर लगाना पड़ता है अगर कभी इनके साथ हादसा हो गया तो उसका जिम्मेदार कौन होगा?
अब हमारे क्षेत्र के विधायक खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हैं उन्हें पूरी आशा है कि मुख्यमंत्री छात्र-छात्राओं की इस समस्या का संज्ञान लेंगे और इस समस्या का जल्द समाधान करेंगे वीडियो में साफ देखा जा सकता है छात्राएं किस तरह उफनती नदी को पार कर रही है उनके साथ कभी भी कोई जानलेवा हादसा वो सकता है मुख्यमंत्री ने संज्ञान लेना चाहिए वहीं अभिभावकों ने भी सावधानी बरतते हुए पानी ज्यादा होने पर बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहिए कुल मिलाकर इन स्कूली छात्र छात्राओं को शिक्षा लेने के लिए भी अपनी जान को दांव पर लगाना पड़ता है अगर कभी इनके साथ हादसा हो गया तो उसका जिम्मेदार कौन होगा?
             खबर मुख्यमंत्री की विधानसभा चंपावत से है जहां जिले के दूरस्थ नोलापानी क्षेत्र की छात्राएं स्कूल जाने के लिए अपनी जान हथेली में रखकर रोज उफनती लधीया नदी को पार कर जीआईसी आमोरी पहुंचती नदी में झूला पुल ना होने के कारण इन छात्राओं को रोज उफनती लधीया को पार करना पड़ता है इस दौरान उनके साथ कभी भी जानलेवा हादसा हो सकता है स्कूल पहुंचने तक उनके कपड़े तक गीले हो जाते हैं
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क्षेत्र के लोगों का कहना है 22 सालों में प्रदेश में कई सरकारें आई और गई कई विधायक आए और गए पर उनकी इस समस्या का समाधान किसी ने नहीं किया समस्या जस की तस बनी हुई है बरसात के मौसम में नदी का पानी काफी ज्यादा बढ़ जाता है और नदी मे पुल ना होने के कारण उनके बच्चों को जान हथेली में रखकर स्कूल जाना पड़ता है तथा नदी के ज्यादा बढ़ने पर वह स्कूल तक नहीं जा पाते हैं बच्चो के स्कूल जाने पर अभिभावकों को दुर्घटना का डर बना रहता है तथा ग्रामीणों को भी कई समस्याओं से जूझना पड़ता है ग्रामीणों ने कहा प्रशासन से कई बार इस स्थान पर झूला पुल बनाने की मांग करी गई पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया ग्रामीणों ने कहा
खबर मुख्यमंत्री की विधानसभा चंपावत से है जहां जिले के दूरस्थ नोलापानी क्षेत्र की छात्राएं स्कूल जाने के लिए अपनी जान हथेली में रखकर रोज उफनती लधीया नदी को पार कर जीआईसी आमोरी पहुंचती नदी में झूला पुल ना होने के कारण इन छात्राओं को रोज उफनती लधीया को पार करना पड़ता है इस दौरान उनके साथ कभी भी जानलेवा हादसा हो सकता है स्कूल पहुंचने तक उनके कपड़े तक गीले हो जाते हैं
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क्षेत्र के लोगों का कहना है 22 सालों में प्रदेश में कई सरकारें आई और गई कई विधायक आए और गए पर उनकी इस समस्या का समाधान किसी ने नहीं किया समस्या जस की तस बनी हुई है बरसात के मौसम में नदी का पानी काफी ज्यादा बढ़ जाता है और नदी मे पुल ना होने के कारण उनके बच्चों को जान हथेली में रखकर स्कूल जाना पड़ता है तथा नदी के ज्यादा बढ़ने पर वह स्कूल तक नहीं जा पाते हैं बच्चो के स्कूल जाने पर अभिभावकों को दुर्घटना का डर बना रहता है तथा ग्रामीणों को भी कई समस्याओं से जूझना पड़ता है ग्रामीणों ने कहा प्रशासन से कई बार इस स्थान पर झूला पुल बनाने की मांग करी गई पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया ग्रामीणों ने कहा
 अब हमारे क्षेत्र के विधायक खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हैं उन्हें पूरी आशा है कि मुख्यमंत्री छात्र-छात्राओं की इस समस्या का संज्ञान लेंगे और इस समस्या का जल्द समाधान करेंगे वीडियो में साफ देखा जा सकता है छात्राएं किस तरह उफनती नदी को पार कर रही है उनके साथ कभी भी कोई जानलेवा हादसा वो सकता है मुख्यमंत्री ने संज्ञान लेना चाहिए वहीं अभिभावकों ने भी सावधानी बरतते हुए पानी ज्यादा होने पर बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहिए कुल मिलाकर इन स्कूली छात्र छात्राओं को शिक्षा लेने के लिए भी अपनी जान को दांव पर लगाना पड़ता है अगर कभी इनके साथ हादसा हो गया तो उसका जिम्मेदार कौन होगा?
अब हमारे क्षेत्र के विधायक खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हैं उन्हें पूरी आशा है कि मुख्यमंत्री छात्र-छात्राओं की इस समस्या का संज्ञान लेंगे और इस समस्या का जल्द समाधान करेंगे वीडियो में साफ देखा जा सकता है छात्राएं किस तरह उफनती नदी को पार कर रही है उनके साथ कभी भी कोई जानलेवा हादसा वो सकता है मुख्यमंत्री ने संज्ञान लेना चाहिए वहीं अभिभावकों ने भी सावधानी बरतते हुए पानी ज्यादा होने पर बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहिए कुल मिलाकर इन स्कूली छात्र छात्राओं को शिक्षा लेने के लिए भी अपनी जान को दांव पर लगाना पड़ता है अगर कभी इनके साथ हादसा हो गया तो उसका जिम्मेदार कौन होगा? 
             
                     
             
             
             
             
             
             
            