Monday 22nd of December 2025

ब्रेकिंग

लोहाघाट:न्यायमूर्ति एन कोटेश्वर सिंह ने आईटीबीपी के जवानों एवं सेवानिवृत्ति जवानों से किया संवाद। बढ़ाया हौसला।

रुद्रपुर:साइकिलिंग में ओलंपिक मेडल को बनाए लक्ष्य : रेखा आर्या

लोहाघाट: राईकोट महर में जन सहयोग से मां झूमाधुरी व भूमिया देवता के भव्य मंदिर का निर्माण कार्य शुरू ।

लोहाघाट:जनकांडे लाइब्रेरी स्किल सेंटर में नशा मुक्ति अभियान समाजसेवी राज भट्ट व जिला पंचायत अध्यक्ष ने किया प्रतिभाग

चंपावत:जनता मिलन में 85 शिकायतें दर्ज, जिलाधिकारी ने मौके पर दिए त्वरित समाधान के निर्देश

रिपोर्ट:जगदीश जोशी : लोहाघाट:वन विभाग में बन सरपंचों व सदस्यों को दिया प्रशिक्षण। दी गई कई महत्वपूर्ण जानकारियां

Laxman Singh Bisht

Fri, Nov 21, 2025

वन विभाग में बन सरपंचों व सदस्यों को दिया प्रशिक्षण। दी गई कई महत्वपूर्ण जानकारियांचंपावत जिले के बाराकोट के काली कुमाऊं रेंज ने रेंजर राजेश जोशी के दिशा निर्देश पर लोहाघाट कार्यालय में क्षेत्र के सरपंचों व सदस्यों को एकदिवसीय प्रशिक्षण दिया गया ।जिसमें मास्टर ट्रेनर डॉक्टर डी0के0 जोशी व डॉक्टर किशोर कुमार पंत के द्वारा दिया गया। मुख्य प्रशिक्षक डॉक्टर डी0के0 जोशी ने नियमावली 2024 के बारे में विस्तृत जानकारी सरपंचों व सदस्यों को दी ।प्रशिक्षण में काली कुमाऊं रेंज के 40 सरपंच उपस्थित थे ।डॉक्टर जोशी ने समस्त उत्तराखंड के वन पंचायतो में समय-समय पर दी जा रही वन पंचायत के कार्यकलापों की प्रशिक्षण में जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि पूरे भारत में उत्तराखंड ही एक ऐसा राज्य है जहां वन पंचायते बनी है। उन्होंने कहा जब से 1865 भारतीय वन अधिनियम बना है सरकार द्वारा हमारे अधिकार सीमित कर दिए गए हैं। 1879 में इसमें पहला संशोधन हुआ जिसमें कि ब्रिटिश सरकार का आधिपत्य रहा था। कहा गांव का प्रधान मुखिया होता था 1913 में ब्रिटिश शासन ने एक समिति बनाई फिर 1916 में पर्वतीय क्षेत्र में एक पदसर्जित किया गया ।1917 में हक्क हुकूक समझौता किया गया, 1927 में भारतीय वन अधिनियम बना ,1931 में वन पंचायत की पहली नियमावली बनाई गई जो कि आज तक कार्यरत है। कुमाऊं में वन पंचायत का कालखंड शुरू हुआ 1959 में जिसमें कुछ संशोधन किया गया सिविल भूमि को भी वन पंचायत के दायरे में रखा गया पूरे प्रदेश में अभी 11217 वन पंचायत कार्यरत है, जिसमें 7500 ग्राम पंचायत शामिल हैं ।1976 में दूसरी नियमावली लागू की गई फिर उसमें भी 1993 में राज्य आंदोलन की तैयारी के साथ-साथ वन पंचायत का भी आंदोलन किया गया। फिर नई नियमावली 2001 में राज्य गठन संशोधन नियमावली बनी फिर 2012 में तीसरी नियमावली बनी जिसमें बाद संशोधन हुआ ।जिसमें 50% महिलाओं को आरक्षित किया गया जिससे कि महिलाएं भी सरपंच बन सके ।फिर 2024 में नई नियमावली बनी है जिसमें एक संशोधन और होना है जल्द ही 2024 की नियमावली रेंज ऑफिस के माध्यम से सरपंचों तक पहुंचाई जाएगी ।काली कुमाऊं वन क्षेत्र के कार्यालय परिषद में वन पंचायत सरपंचों व सचिव हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम में वन दरोगा प्रकाश गिरी गोस्वामी ,बंशीधर जोशी, वन दरोगा नंदा वल्लभ ,वनरक्षक कुंवर सिंह ,राजेंद्र भट्ट, मोहन तिवारी ,वन आरक्षी कुमारी निशा मेहता ,कुमारी नेहा देव ,कमल भट्ट ,कार्यालय लिपिक व अन्य कर्मचारी उपस्थित थे।

जरूरी खबरें