हिमालयी राज्यों पर पर्यटन का बुनियादी ढांचे, कला-संस्कृति एवं पर्यावरण का प्रभाव l
कला-संस्कृति, प्रकृति और होम-स्टे पर्यटन के क्षेत्र में उत्तराखण्ड की रीढ़ - प्रो. बिष्ट
राष्ट्रीय सेमीनार के स्मारिका विमोचन में 120 शोध पत्र प्रकाशित l
स्वामी विवेकानन्द गवर्नमेंट पीजी कॉलेज लोहाघाट में दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन सत्र हुआ l जिसमें भारतीय सामाजिक अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित सेमिनार में मुख्य अथिति प्रोफ़ेसर बी. एस. बिष्ट, सेवानिवृत्त, समाजशास्त्र विभाग, कुमाऊँ विश्वविद्यालय नैनीताल, विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर आनंद प्रकाश सिंह, प्राचार्य, राजकीय महाविद्यालय बनबसा, विशिष्ट अथिति डॉ. संदेशा रायपा गर्व्याल जवाहरलाल नेहरू, नई दिल्ली, विशिष्ट अथिति श्री सतीश पाण्डे समाजसेवक उपस्थित रहे lसंचलन डॉ. ममता बिष्ट एवं डॉ स्वाति जोशी ने संयुक्त रूप से किया, सेमिनार संयोजक डॉ. दिनेश व्यास, सेमीनार समिति सदस्य- डॉ. रेखा जोशी, डॉ. किशोर जोशी, डॉ. ममता बिष्ट, डॉ. सीमा नेगी, डॉ. नीरज काण्डपाल, डॉ स्वाति काण्डपाल एवं डॉ. सरस्वती भट्ट रहे lसर्वप्रथम अथितियों का स्वागत महाविद्यालय परिवार द्वारा किया गया l डॉ. दिनेश व्यास ने राष्ट्रीय सेमिनार के विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत के सात पर्वतीय राज्यों को पर्यटन के क्षेत्र में विकास करने में पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन की अत्यंत आवश्यकता है lमुख्य अथिति प्रोफ़ेसर बी. एस. बिष्ट ने कहा कि विश्वस्तर पर पर्यटन आज के समय में सबसे बढ़ता हुआ उद्योग है जिसमें विश्वस्तर के जीडीपी का 10.9 मिलियन नौकरी सृजित करने की क्षमता रखा है l भारत वर्ष 2024-25 में लगभग 15.7 लाख करोड़ रुपये पर्यटन से आय प्राप्त हुई है l पर्यटन में विभिन्न क्षेत्रों में निवेश किया जा रहा है जिसमें योग, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा, कला-संस्कृति, पर्वतारोहण आदि में विशेष योगदान दे रहे है अन्ततः पर्यटन मानव के अंतर मन पर विशेष प्रभाव डालता है lडॉ. संगीता गुप्ता, प्राचार्य ने कहा कि सतत् पर्यटन के लिए हिमालयीय राज्यों को विशेष नीति बनाने की अत्यन्त आवश्यकता जिससे यहाँ पर पर्यटकों को लम्बे समय तक आकर्षित किया जा सके और हिमालयी राज्यों के कला, संस्कृति एवं होम स्टे को बढ़ावा मिल सके l सतीश पाण्डे, समाजसेवक द्वारा कहा गया कि कुमाऊँ मण्डल की अपेक्षा गढ़वाल मंडल में पर्यटन अधिक बेहतर और विकसित है उत्तराखण्ड सरकार को कुमाऊँ के क्षेत्र में पर्यटन का संवर्धन और संरक्षण करने की अत्यंत आवश्यकता है l उत्तराखण्ड में स्वच्छता अभियान से पर्यटन को प्रोत्साहन मिलेगा इस लिए आम नागरिकों को जागरूक करने की अत्यन्त आवश्यकता है lप्रोफेसर आनंद प्रकाश सिंह, प्राचार्य ने कहा की 21वीं सदी का तीसरी सदी उत्तराखण्ड का है इसलिए उत्तराखण्ड की उच्चशिक्षा में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्राध्यापकों और छात्रों को पर्यटन के क्षेत्र में पाठयक्रम को व्यावहारिक बनाना होगा l
डॉ. संदेशा रायपा गर्व्याल ने कहा कि हिमालयन राज्यों के जीवन के बीच संतुलन बनाये रखने में कला, संस्कृति और सामाजिक विविधता को आर्थिक एवं प्रकृति ने जोड़ा है इसलिए पर्यावरण संतुलन, आर्थिक विकास, बुनियादी ढांचा की संरक्षण और संवर्धन की आवश्यकता है l
उद्घाटन सत्र के अंत में डॉ. किशोर जोशी द्वारा धन्यवाद ज्ञापन दिया गया l उत्तराखण्ड जिले से आये विभिन्न महाविद्यालयों के प्राध्यापकगण जिसमें डॉ. प्रताप सिंह बिष्ट, डॉ. अनिल सोनी, डॉ. परितोष उप्रेती, डॉ. वी एम पाण्डे, डॉ. जीवन कुमार सारस्वत, डॉ. नवीन कुमार, डॉ. नरेंद्र धारियाल, डॉ. चंद्र प्रकाश, डॉ. हरिराम, कुमारी नीतू, स्थानीय पुलिस अधिकारी लोहाघाट थानाध्यक्ष श्री अशोक कुमार, श्री जितेंद्र राय, महाविद्यालय में उपस्थित डॉ. अपराजिता, डॉ. लता कैड़ा, डॉ. बृजेश कुमार ओली, डॉ रवि सनवाल, डॉ. एस पी सिंह, डॉ. भूपसिंह धामी, डॉ. उपेन्द्र चौहान, डॉ. सोनाली कार्तिकेय, डॉ. पंकज टम्टा, डॉ. महेश त्रिपाठी, डॉ. मनोज कुमार, डॉ. रुचिर जोशी, अनिता टम्टा, डॉ. सरोज यादव, डॉ. उमा काण्डपाल, डॉ. बन्दना चंद, डॉ.अर्चना त्रिपाठी, डॉ. मीना, डॉ अनिता खर्कवाल, डॉ. सुमन पाण्डे, डॉ. दीपक जोशी, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. दिनेश राम, डॉ. शांति, डॉ. भगत राम, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. नम्रता महर, श्रीमती गीतम, भावना खर्कवाल आदि उपस्थित रहे l