रिपोर्ट:लक्ष्मण बिष्ट 👹👹 : बकरी पालन से बदली तकदीर: चम्पावत की सोनी बिष्ट बनीं ग्रामीण महिलाओं के लिए मिसाल

Laxman Singh Bisht
Mon, Jul 7, 2025
बकरी पालन से बदली तकदीर: चम्पावत की सोनी बिष्ट बनीं ग्रामीण महिलाओं के लिए मिसालजनपद चम्पावत के विकासखंड चम्पावत के छोटे से गाँव कोयाटी की श्रीमती सोनी बिष्ट ने अपने आत्मविश्वास और परिश्रम से अपनी और गाँव की कई महिलाओं की जिंदगी को नई दिशा दी है। ग्रामोत्थान परियोजना के अंतर्गत बकरी पालन शुरू कर उन्होंने न सिर्फ अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सशक्त किया, बल्कि अनेक ग्रामीण महिलाओं को भी स्वरोजगार की राह दिखाई।
श्रीमती सोनी बिष्ट, जो एड़ी देवता स्वयं सहायता समूह की सदस्य हैं, ने उत्तराखण्ड ग्राम्य विकास समिति (UGVS) द्वारा संचालित ग्रामोत्थान परियोजना के माध्यम से बकरी पालन का व्यवसाय शुरू किया। इस परियोजना को अंतरराष्ट्रीय कृषि विकास निधि (IFAD) द्वारा वित्त पोषित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण गरीब परिवारों की आजीविका को उद्यम आधारित बनाना और पहाड़ से पलायन को रोकना है।
ग्राम कोयाटी में परियोजना टीम द्वारा आयोजित बैठकों में जब लघु उद्यम योजना की जानकारी दी गई, तो श्रीमती सोनी ने इस अवसर को पहचाना और पूरे मनोयोग से योजना का हिस्सा बनीं। उनके समर्पण को देखते हुए उन्हें ₹3 लाख की सहायता प्रदान की गई, जिसमें ₹75,000 की अनुदान राशि, ₹1.5 लाख का बैंक ऋण (परियोजना द्वारा सुनिश्चित) और ₹75,000 का स्वयं का योगदान शामिल था।इस सहायता से श्रीमती सोनी ने बकरी पालन के लिए एक शेड बनवाया और 30 बकरियाँ खरीदीं। उन्होंने स्थानीय किसानों से प्रशिक्षण लेकर बकरियों की देखभाल, स्वास्थ्य प्रबंधन और दूध विपणन की तकनीकें सीखीं। उनके प्रयासों से बकरी पालन का यह उद्यम कुछ ही महीनों में सफल व्यवसाय बन गया। गाँव और आसपास के क्षेत्रों में उनके द्वारा उत्पादित दूध की गुणवत्ता और स्वच्छता की खूब सराहना होने लगी।
6 माह में की 1 लाख की कमाई, कई महिलाओं को दी प्रेरणा
महज 6 महीनों में श्रीमती सोनी ने बकरियाँ बेचकर ₹1 लाख की आय अर्जित की। उनकी इस सफलता ने गाँव की अन्य महिलाओं को भी प्रेरित किया। अब उनकी अगुवाई में कई महिलाओं ने भी बकरी पालन का कार्य शुरू किया है, जिससे गाँव में स्वरोजगार और आत्मनिर्भरता की नई लहर दौड़ पड़ी है।
श्रीमती सोनी कहती हैं, “अगर आप ठान लें और सही दिशा में मेहनत करें, तो कोई भी सपना दूर नहीं। ग्रामोत्थान परियोजना ने मेरे जैसे कई परिवारों को संबल और अवसर दिया है।”*
उनकी यह कहानी इस बात का जीवंत उदाहरण है कि जब प्रयासों को सही मार्गदर्शन और संसाधन मिलते हैं, तो असंभव भी संभव हो जाता है। श्रीमती सोनी बिष्ट ने न सिर्फ अपनी तकदीर बदली, बल्कि अपने गाँव की महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने की राह दिखाई – और आज वे पूरे क्षेत्र के लिए प्रेरणास्रोत बन गई हैं।