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: 9 महीने 14 दिन के बाद धरती पर लौटीं सुनीता विलियम्स/ फ्लोरिडा के समुद्र तट पर की सुरक्षित लैंडिंग / इमेज कैप्शन,ड्रैगन कैप्सूल से निकलते समय सुनीता विलियम्स के चेहरे पर थी मुस्कुराहट 

Laxman Singh Bisht

Wed, Mar 19, 2025
इमेज कैप्शन,ड्रैगन कैप्सूल से निकलते समय सुनीता विलियम्स के चेहरे पर थी मुस्कुराहट आखिर अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर अन्य दो अंतरिक्ष यात्रियों के साथ आज स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल के ज़रिए पृथ्वी पर लौट आई हैं.बीते साल जून में महज़ आठ दिनों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर गए ये दोनों एस्ट्रोनॉट नौ महीने 14 दिन बाद लौट पाए हैं।बोइंग का जो स्टारलाइनर यान उन्हें वापस धरती पर लाने वाला था वो ख़राब हो गया था इसलिए उन्हें इतना लंबा इंतज़ार करना पड़ा।उन्हें आख़िरकार एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल ने आज फ्लोरिडा के तट पर सुरक्षित रूप से उतारा कैप्सूल के समुद्र में गिरने के बाद कैप्सूल के चारों ओर जिज्ञासु डॉल्फिनों का एक समूह चक्कर लगा रहा था।अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस स्टेशन से धरती पर पहुँचने में 17 घंटों का लंबा वक्त लगा. पढ़िए कैसी थी ये यात्रा और कैप्सूल के स्पलैशडाउन करने के बाद क्या-क्या हुआ? भारतीय समयानुसार तड़के 3 बजकर 27 मिनट पर चार अंतरिक्ष यात्रियों को लाने वाला कैप्सूल फ़्लोरिडा के तट के पास समंदर में गिरा।समंदर की सतह पर आने के बाद कंट्रोल सेंटर की ओर से अंतरिक्ष यात्रियों का स्वागत करते हुए कहा गया, "निक, एलेक, बुच, सुनी...स्पेसएक्स की ओर से घर वापस आने का स्वागत है."कमांडर निक हेग ने ख़ुशी ज़ाहिर करते हुए जवाब दिया, "कैप्सूल में सभी के चेहरे पर मुस्कुराहटों से भरे हुए थे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) से पृथ्वी तक आने का सफ़र लगभग 17 घंटे का था.पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते समय ड्रैगन कैप्सूल की रफ़्तार 17000 मील प्रति घंटा थी जिसे कुछ मिनटों के अंतराल में तेज़ी से धीमा किया गया.इससे पहले मंगलवार को सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर के साथ दो और अंतरिक्ष यात्री निक हेग और रूसी अंतरिक्ष यात्री लेग्ज़ेंडर गोर्बूनोव ने बाकी अंतरिक्ष यात्रियों से विदा ली.निक हेग और गोर्बूनोव पिछले साल सितंबर में स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल के ज़रिए छह महीने के अंतरिक्ष मिशन पर आईएसएस पर पहुंचे थे। 2000 डिग्री का तापमान और हीट शील्ड, कितना ख़तरनाक था सफर? जब कैप्सूल धरती के वायुमंडल में प्रवेश किया तो कम्युनिकेशन ब्लैकआउट हो गया था जोकि क़रीब तीन बजकर 20 मिनट पर फिर से बहाल हुआ.वायुमंडल में प्रवेश के बाद अंतरिक्ष यान के प्लाज़्मा शील्ड का तापमान 1927 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था लेकिन हीट शील्ड सवार अंतरिक्ष यात्रियों को इतनी तेज़ गर्मी से बचाने में मददगार साबित हुई क़रीब 3 बजकर 21 मिनट पर अंतरिक्षयान ऑटोनोमस यानी स्वचालित हो गया था, यानी अंतरिक्ष यात्री इसे नियंत्रित नहीं कर रहे थे. इस दौरान उनके सामने लगे टच स्क्रीन पर वे सारी गतिविधियों को देख पा रहे थे.क़रीब तीन बजकर 24 मिनट पर पहले ड्रैगन कैप्सूल के दो पैराशूट खुले जिससे इसकी रफ़्तार और धीमी हो गई. इस दौरान एक ज़ोर का झटका लगा और कैप्सूल की रफ़्तार और धीमी हो गई.इसके बाद दो और पैराशूट खुले.जिस समय कैप्सूल समंदर में उतरा, उसके ठीक बाद ही पानी में कैप्सूल के चारों ओर डॉल्फ़िन चक्कर लगाती हुई तैरती दिखीं.मौके पर मौजूद रिकवरी टीम फास्ट बोट्स से कैप्सूल तक पहुंची और पहले सुरक्षा का जायजा लिया और पैराशूट हटाया गया इसके बाद स्पेसएक्स का रिकवरी पोत पहुंचा, जोकि लैंडिंग साइट से दो मील ही दूर पर रुका हुआ था. जिस समय अंतरिक्ष यान की वापसी हो रही थी, आसमान पूरी तरह साफ़ नीला था।इसके बाद रस्सियों के सहारे कैप्सूल को सुरक्षा नाव में लाया गया।इसके बाद ड्रैगन कैप्सूल का साइड हैच खुला और सारी दुनिया अंतरिक्ष यात्रियों की झलक पाने का इंतज़ार करने लगी।अरसे बाद ये लोग पृथ्वी पर ताज़ा हवा में सांस लेने वाले हैं।इसके बाद नासा की लाइव तस्वीरों के ज़रिए दुनिया भर में लोगों ने सुनीता विलियम्स और उनके साथियों को बाहर निकलते देखा।क्रू के कैप्सूल से निकलने से पहले एक कैमरे ने अंदर की तस्वीरें खींची. इन तस्वीरों में सभी यात्री हाथ हिला कर अभिवादन करते दिखे.क्रू-9 के कमांडर निक हेग ड्रैगन से बाहर निकलने वाले पहले यात्री थे. वो बाहर निकले, कैमरे की ओर देखकर मुस्कुराए, हवा में हाथ लहराए और आगे निकल गए.कैप्सूल से निकलने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों ने हाथ हिलाया कैप्सूल से निकलने से ठीक पहले सुनीता विलियम्स और विलमोर ने कैमरे की ओर हवा में हाथ हिलाकर ख़ुशी ज़ाहिर की. अंतरिक्ष में क़रीब 286 दिन बिताने के बाद सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर ने धरती पर ताज़ा हवा में सांस ली.जिस समय वे कैप्सूल से बाहर आ रहे थे उनके चेहरे पर मुस्कान तैर रही थी और कैमरे की ओर देखकर वे लगातार हाथ हिला रहे थे क़रीब नौ महीने तक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर रहते हुए इन दोनों यात्रियों ने हर दिन 16 बार सूर्योदय और सूर्यास्त देखा और अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि इससे तालमेल बिठाना उनके लिए कितना चुनौतीपूर्ण रहा होगा.है. इसके अलावा अंतरिक्ष यात्रियों को रेडिएशन का भी सामना करना होता है.इसीलिए आईएसएस पर मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य पर क़रीबी नज़र रखी जाती है.हालांकि अंतरिक्ष में हुए अधिकांश बदलाव, धरती पर वापसी के बाद सामान्य हो जाते हैं, लेकिन इसमें कुछ समय लगता है.इमेज कैप्शन,स्पेस स्टेशन में रहते हुए सुनीता विलियम्स को हर दिन चार घंटे व्यायाम करना होता था. ब्रिटिश एस्ट्रोनॉट टिम पीक ने कहा कि पृथ्वी पर वापसी के बाद यहां के वातावरण में ढलने में कुछ वक्त लगता है.बीबीसी रेडियो4 के टुडे प्रोग्राम में उन्होंने कहा, "आपके शरीर को छुट्टियों जैसे अहसास मिलता है. आपका दिल, आपकी मांसपेशियां और हड्डियों को आराम मिलता है." आप अंतरिक्ष स्टेशन में पृथ्वी के चारों ओर शून्य गुरुत्वाकर्षण में घूम रहे होते हैं और खुद को फ़िट रखने के लिए आपको व्यायाम करना होता है. लेकिन धरती पर वापसी के बाद के दो तीन दिन बहुत कष्टकारी होते हैं."

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