रिपोर्ट: साहबराम : Ganesh Chaturthi 2025 गणेश चतुर्थी पर कल भूलकर भी ना करें ये काम, जाने इसका कारण ?

Laxman Singh Bisht
Tue, Aug 26, 2025
Ganesh Chaturthi 2025: कल गणेश चतुर्थी का त्योहार है और इसे देशभर में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी का त्योहार घर और जीवन में नई उन्नति लेकर आता है।
गणेश चतुर्थी का त्योहार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है, इस दिन चंद्रमा भूलकर भी नहीं देखना चाहिए, क्योंकि इस दिन चंद्रमा के दर्शन करने से मिथ्या दोष या अपयश का सामना करना पड़ सकता है। Ganesh Chaturthi 2025
मिली जानकारी के अनुसार, शास्त्रों में वर्णन है कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को श्रीगणेश जी का प्राकट्य हुआ था इसलिए इस दिन धूमधाम से घर और पंडालों में गणेशजी की स्थापना कर पूजा अर्चना की जाती है, इसके बाद से 11 दिन गणेश उत्सव भी शुरू हो जाता है।
जिस दिन गणेशजी की स्थापना की जाती है, उस दिन चंद्रमा नहीं देता है। अगर आप गलती से देख भी लेते हैं तो इसका निदान भी गणेशजी के पास ही है। Ganesh Chaturthi 2025
आइए जानते हैं चंद्रमा के दर्शन हो जाएं तो क्या करें… Ganesh Chaturthi 2025
लगता है मिथ्या दोष
जानकारी के मुताबिक, शास्त्रों में वर्णन है कि भाद्रपद मास, शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को श्रीगणेश जी का जन्म हुआ। उसी दिन चंद्रमा ने गणेश जी पर परिहास किया और उन्हें लम्बोदर कहकर हंसने लगे। इससे गणेश जी अप्रसन्न हुए और उन्होंने चंद्रमा को शाप दिया कि इस दिन जो भी व्यक्ति तुम्हें देखेगा, उस पर मिथ्या कलंक लगेगा।
यही कारण है कि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा को देखना मिथ्या दोष अथवा कलंक दोष देता है। भगवान श्रीकृष्ण भी इससे प्रभावित हुए थे और उन पर स्यमंतक मणि की चोरी का आरोप लगा था। Ganesh Chaturthi 2025
करते हैं निवारण
मिली जानकारी के अनुसार, गणेश चतुर्थी पर चंद्र दर्शन करने से जातक को सामाजिक या व्यक्तिगत जीवन में बिना कारण बदनामी का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए परंपरा में कहा गया है कि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा को मत देखो, अन्यथा मिथ्या दोष लगता है।
लेकिन अगर आप गलती से चंद्रमा के दर्शन कर लेते हैं तो इस दोष का निवारण गणेशजी के पास है। कहते हैं कि अष्टमी तिथि के दिन गणेशजी के 12 नामों का पूजन करने से इस कलंक से रक्षा होती है। Ganesh Chaturthi 2025
गणेशजी के 12 नाम
1- वक्रतुंड
2- एकदंत
3- कृष्णपिंगाक्ष
4- गजवक्त्र
5- लंबोदर
6- विकट
7- विघ्नराजेन्द्र
8- धूम्रवर्ण
9- भालचंद्र
10-विनायक
11- गणपति
12- गजानन